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हर साल 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य एचआईवी और एड्स के बारे में जागरूकता फैलाना और इस बीमारी से होने वाली मौतों को याद करना है। लक्ष्य है कि एड्स से पीड़ित लोग भी सामान्य जीवन जी सकें। 2024 की थीम है ‘टेक द राइट पाथ – माई हेल्थ, माई राइट’, जिसका उद्देश्य हर एचआईवी पीड़ित व्यक्ति को उचित उपचार, देखभाल और सुरक्षा प्रदान करना है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और UNAIDS ने 1988 में पहली बार विश्व एड्स दिवस मनाया था। इस दिन को मनाने का विचार WHO के दो अधिकारियों, जेम्स डब्ल्यू बन और थॉमस नेटर ने दिया था।
एड्स एक गंभीर बीमारी है। 2020 तक, 47.8 मिलियन लोग एड्स से मर चुके हैं, जबकि लगभग 37.7 मिलियन लोग एचआईवी के साथ जी रहे हैं। WHO के अनुसार, एचआईवी संक्रमित लोगों की देखभाल करना और संक्रमण को रोकना एक बड़ी चुनौती है।
एड्स के लक्षण व्यक्ति से व्यक्ति में अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन कुछ सामान्य लक्षण हैं जैसे डायरिया, वजन कम होना, रात में पसीना आना, सांस लेने में तकलीफ, टीबी, दाद और निमोनिया। ये लक्षण एचआईवी संक्रमण के कारण इम्यूनिटी सिस्टम के कमजोर होने के कारण होते हैं।